Saturday, 27 September 2025

योग - रेखा चौरसिया

योग - रेखा चौरसिया


प्राणायाम से नाड़ी शोधन,
रक्त प्रवाह का हो संशोधन,
मानव हित जग को संबोधन,
योगाभ्यास नहीं अवरोधन।

ऋषियों मुनियों की वाणी से,
योग को जोड़ें हर प्राणी से,
प्रतिदिन करते नए प्रयोग,
कुंजी अक्षय परम सुयोग।

नकारात्मक ऊर्जा है जिनमें,
चिंतन ध्यान स्फूर्ति तन में,
जटिल समस्या, घंटेंगे रोग,
स्वस्थ शरीर प्रदत्त सहयोग।

प्रतिदिन योग है जीवन दर्पण,
सौष्ठव बाल पुष्ट हो अर्पण।
धर्म आस्था करो समर्पण,
त्याग सुखों का योग को तर्पण।

भारत की परंपरा सनातन,
प्राण-योग-मन करता आराधन,
जटिल समस्या, गूढ़ हो चिंतन,
मनन योग से स्वस्थ्य हो जीवन।    

रेखा चौरसिया मिर्जापुर (प्रधानाचार्या)

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