Monday, 24 November 2025

मुस्कुराते रहो - नीलम गुप्ता

मुस्कुराते रहो - नीलम गुप्ता

माना गम हजारों है यारों
पर खुलासा क्यों ही करें
सताया तो बहुत है जिंदगी ने
पर अब तमाशा क्यों ही करें

उतार ,चढ़ाव बहुत आए मगर
रोते रहने का ढोंग क्यों ही करें
होगी जिंदगी हम पर कितनी भी हावी
मुस्कुरा कर उसका स्वागत क्यों ना करे

कोई साथ बेशक ना दे मेरा
हम ख़ुद के साथ सदा खड़े रहें
चार लोग हंसते है तो हंसने दे
उन चारों की परवाह हम क्यों करें

हां ,बेशक कामयाब ना हुए हम
जश्न में कोई कमी हम क्यों करें
माना अख़बार में फ़ोटो नहीं छपती मेरी
खुद की तस्वीर पर नाज़ क्यों ना करें

माना मेरा चाहा नहीं हुआ पूरा यारों
जो मिला उसका शुक्रिया अदा करें
कुछ काश तो रह ही जाते जिंदगी में
इन काश को हावी हम क्यों ही करे

मुस्कुराते चेहरे लुभाते है सभी को
तो हम भी एक मुस्कान क्यों ना धरे
हां, नहीं है  हम कोई महान हस्ती यारों
पर खुद की मस्ती में कमी क्यों ही करें

स्वरचित ✍️
नीलम गुप्ता 
उत्तर प्रदेश 

No comments:

Post a Comment