राष्ट्रीय हिन्दी साहित्य मंच हमारी वाणी
साप्ताहिक प्रतियोगिता हेतु
विषय ...स्वास्थ्य
स्वास्थ्य - महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त
स्वास्थ्य शरीर निरोगी काया
शरीर स्वास्थ्य जीवन आधार ।
सुख शांति परिवार में होगी
स्वास्थ्य सुखी रहेगा घर परिवार ।
ईश्वर ने सभी का शरीर बनाया
शरीर में अंग बहुत होते हैं ।
हाथ पैर नाक आंख कान
और भी अंग शरीर में होते हैं ।
पुरुष और महिला के शरीर भी
कुछ अंग अलग अलग होते हैं ।
अलग अंगों की पहचान से ही
महिला पुरुष अलग होते हैं ।
शरीर का कोई अंग दुखता है
दैनिक कार्य मुश्किल होता है।
पैरों के घुटनों में जब दर्द होता है
बहुत ही मुश्किल हो जाता है ।
स्वास्थ्य शरीर पावन धाम है
तन मन भी सुखमय रहता है ।
जीवन में सुख चैन जब रहता
पावन धाम सा बन जाता है ।
मन प्रसन्न निरोगी काया हो
स्वास्थ्य जरूरी है आधार ।
सुख शांति और भाईचारे से
भरा पूरा हर घर परिवार ।
तन मन स्वास्थ्य रहेगा जब
सुखी जीवन भी रहेगा उसका ।
आपस में जो मिलकर रहेगा
निरोगी जीवन होगा उसका ।
सारा सच काम क्रोध मोह माया
का लालच जब मन में रहता है ।
सारा सच मन अशांत हो जाता है
स्वास्थ्य पर असर भी पड़ता है ।
शारीरिक मेहनत जो नही करता
शरीर शिथिल भी हो जाता है ।
सारा सच शरीर दुर्बल रहता है
मेहनत का काम नही होता है ।
स्वास्थ्य जरूरी पावन धाम है
शारीरिक मेहनत करना होगा ।
काम नही कुछ करना है तो
सुबह शाम घूमना जरूरी होगा।
घर के आसपास में हमेशा
स्वच्छता, सफाई जरूरी है ।
शुद्ध हवा स्वास्थ्य के लिए
सभी के लिए भी जरूरी है ।
घर के आसपास पेड़ पौधे हों
जो स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।
सारा सच शरीर स्वास्थ्य रखने
में शुद्ध पर्यावरण भी जरूरी है।
स्वास्थ्य शरीर सुखी जीवन
सुख शांति का आधार है ।
स्वास्थ्य जरूरी रहेगा तभी
तो सुखी होगा घर परिवार है ।
महाकवि डा अनन्तराम चौबे अनन्त
जबलपुर म प्र
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