जीवन - आभा सिंह
#सारा सच अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्य प्रतियोगिता
#हमारी वाणी '
#विषय- जीवन
मेरा #जीवन एक संघर्ष है मै चुनौतियों से लड़ूँगी मैं,
पराजय कोई विकल्प नहीं पर आगे बढूँगी मैं..
कहते हैं कि कड़ी मेहनत कभी व्यर्थ नहीं होती,
रंग लायेगी मेरी मेहनत भी लक्ष्य का पीछा करूँगी मैं..
#जीवन में बिना संघर्ष किए जो मिलता वो भीख समान है,
मेहनत से जो हासिल हो यारों उसमें ही तो मान -सम्मान है..
जब अपनी मंजिल को पाना है तो डरना व घबराना कैसा ?
संघर्ष और परिश्रम ही विकल्प है इससे जूझूँगी मैं ..
सुख के फूल खिले हों या दुख के काँटें बिछें हों,
विचलित होकर राह ना अपनी छोड़ूँगी मैं।
मंजिलें अभी और भी हैं वहम-ओ -गुमाँ से आगे,
हौसलों की उड़ान से आसमाँ की बुलंदी चूमूँगी मैं।
लाखों ठोकरों के बाद भी संभलती रहूँगी मैं,
गिरकर फिर उठूँगी,और चलती रहूँगी मैं।
जब चाहे सूरज अस्त हो #जीवन का परवाह नहीं,
मैं जुगनू हूँ घोर अँधेरे में चमकती रहूँगी मैं।
मैं अपनी कारीगर स्वयं हूँ, मुझे कला आती है,
हर रोज बेहतर प्रतिमा में ढलती रहूँगी मैं।
मुझे राेशन होने के लिए नहीं चाहिए चिंगारी कोई,
मै अपनी दीप स्वयं हूँ, स्वयं जलती रहूँगी मैं।
गृह-नक्षत्र जो भी चाहें लिखें हो कुंडली में,
मेहनत से अपना नसीब बदलती रहूँगी मैं।
कठिन परिश्रम ही सफलता की कुंजी है,
चाहे जो विपदायें आयें अपना मुकद्दर लिखूँगी मैं।।
#स्वरचित एवं मौलिक
#मौलिकता प्रमाणपत्र-
मैं आभा सिंह
Utter Pradesh
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