दीपावली - रंजना मलिक
आईं दीपावली अँधेरे को मिटाने,
हर्ष मनाने, रौशनी के दीप जलाने।
अंधकार सब जग के दूर भगाने,
नव आशा के हृदय में फूल खिलाने।
सज गये हर गली, घर और द्वार,
गिरते नभ से तारे और प्रकाशमय हुआ संसार।
बच्चों की हँसी, झिलमिल सी ज्योति,
लायी दीपावली ये सौगात अनोखी।
दीपावली का ये त्यौहार अनुपम,
प्रेम-सौहार्द का दीप जले हर मन।
नफरत, द्वेष, हिंसा-घृणा मिटे जग से,
सुख-शांति और खुशियाँ सब पर बरसे।
दीपावली में लक्ष्मी माँ के चरण पधारे,
श्रीगणेश भी ले संग आशीष पधारे।
मिठाई और पकवान सुस्वाद हैं सारे,
नये परिधानों में सजे जग के लोग सारे।
दीपावली की रौशनी में सपने सजाओ,
दीपावली बोले — “उठो, मुस्कराओ।”
आशा की किरण फिर से सब जगाओ,
जीवन में उमंग, जोश से दीपावली मनाओ।
रंजना मलिक (कवयित्री एवं समाज सेविका )
ग्रेटर नोएडा

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