हिंदी साहित्य प्रतियोगिता मंच- "हमारी वाणी" के लिए प्रस्तुत है
मेरी यह रचना गजल - भारत - पूनम सिंह
बह्र 1222 1222 1222 1222
काफ़िया- ए (स्वर) रदीफ़~ भारत
रहे जग में हमेशा शान से ऊंचा दिखे भारत,
बढे सम्मान उसका हर जगह ऐसे बढे़ भारत।।
शहीदों के लहू से ही सदा ऊंचा तिरंगा है,
मिले हर जन्म में हमको सदा फूले फले भारत।।
बहे गंगा हमेशा प्रेम की सरगम की धूनों में,
रहे सम्मान माँ बहनों का फूलों सा खिले भारत।।
फलक से ऊंचा है ईमान इसका जगमगाता है,
है सबसे ही अलग रुतबा कभी डरता न ये भारत।।
सदा दुश्मन की आंखों में ही आंखें डाली है,
रहे सरहद सुरक्षित है तमन्ना अब सजे भारत।।
रहे हंसता गगन धरती यही 'पूनम' की चाहत है,
रहे सूरज चमकता भाल पर हरदम खिले भारत।।
- पूनम सिंह
उत्तर प्रदेश

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