Wednesday, 17 December 2025

प्रकृति - दीपिका वल्दिया

प्रकृति  - दीपिका वल्दिया 

प्रकृति है हमारी जीवनदात्री,
पालक-पोषक जीवन निर्मात्री।

जीवन दायिनी प्राणवायु ये देती,
पालन हेतु अन्न,साग,फल देती।

वृक्ष प्रदूषण को हैं दूर हटाते,
चारों ओर देखो हरियाली लाते।

विविध रोग जब हमें सताते,
विविध औषधियाँ वृक्षों से पाते।

प्रचंड धूप जब तन-मन झुलसाये,
वृक्षों की छांव में आराम पा जाते।

पत्ते,फूल,फल,जड़ और टहनियां,
सभी अंग तो वृक्षों के काम आते।

नदियों में जल भर-भर कर वृक्ष, 
पालन-पोषण हेतु अन्न उपजाते,

परोपकार जग पर कितना करते,
आभार छोड़ हम उनका जीवन लेते।

वृक्षों का जीवन लेकर कैसे जीवन पाते,
अस्पताल के यन्त्रों से प्राणवायु लाते,

नष्ट करके वृक्षों को खुद क्या जी पाते
आने वाली नस्लों को क्या विरासत दे जाते,

अपना सब कुछ देकर,वृक्ष ऊंचे हो जाते 
उनका सब लेकर हम,उन्हें काट गिराते।

वृक्षों में भी जीवन है विज्ञान ने दिखाया है,
फिर उन्हें काट हम क्या मानवता दिखाते।

प्रकृति का पोषण कर आओ वृक्ष लगाते,
अगली पीढ़ियों के लिये स्वच्छ प्राणवायु लाते। 
 
दीपिका वल्दिया🙏🏻💐
मौलिक स्वरचित
उत्तराखंड 

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