कुंभ आत्मचिंतन है - डाॅ० योगेश सिंह धाकरे "चातक"
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संगम होता नदीयों का,
सभ्यतायें पनपती है ।
मानवीय विकास की ,
अवधारणायें बदलती है ।
प्रयागराज प्रमाण है,
त्रिवेणी संगम महान है ।
ध्यान योग,तप साधना का
मिलता परम ज्ञान है ।
वृहस्पति होगें मेष राशि मै
घड़ी बारह वर्ष मै आती है।
आगाज होता है, कुंभ का
ये काल गणना बतलाती है ।
महाकुंभ का महत्व तो,
अमृत मंथन मै छिपा है ।
सनातन का सिद्धांत तो,
आत्मचिंतन मै छिपा है ।
आध्यात्म से ही तुम..
अमृत को खोज पाओगे ।
अविनाशी अनंत शक्ति से
शून्य में समाहित हो जाओगे।
सनातन आस्था का पर्व महान ।
तप साधना का प्रत्यक्ष प्रमाण ।
प्रयागराज कुम्भ, पुण्य प्रदाना ।
प्रगटहि संत, स्वरूप भगवाना ।
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स्वरचित....
डाॅ० योगेश सिंह धाकरे "चातक"
{ओज कवि} आलीराजपुर म.प्र.
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