मैं कौन हूँ,
यह प्रश्न जीवन की पहली धड़कन से ही,
मेरे कंधों पर अपना हाथ रख देता है।
जैसे कोई अदृश्य गुरु,
बिना बोले कहता हो-
“खुद को पहचानने की यात्रा शुरू हुई।”
मेरा परिचय,
मेरी जन्मतिथि का दिया हुआ कोई अंक नहीं,
न ही वह घर,
जहाँ मैंने पहली बार बोलना सीखा।
परिचय मेरा,
उन अनुभवों की नदी है,
जो भीतर बहती रहती है,
कभी शांत,
कभी उफनती,
पर कभी रुकती नहीं।
मैं मेरे नाम का पहला अक्षर नहीं,
मैं वह तड़प हूँ,
जो हर असफल प्रयास के बाद,
फिर उठ खड़ी होती है।
मैं उन स्वप्नों की प्रतिध्वनि हूँ,
जिन्हें किसी ने रातों के अँधेरे में,
चुपचाप कंधों पर रखा था।
मेरे परिचय का एक हिस्सा,
उन आँसुओं में छिपा है,
जिन्हें मैंने किसी को दिखने नहीं दिया,
और दूसरा हिस्सा,
उस हँसी में जो टूटकर भी,
टूटती नहीं।
मैं अपने पूर्वजों की परंपरा भी हूँ,
और आधुनिकता की धड़कन भी।
मैं यादों के पीले पड़ते काग़ज़,
और भविष्य की चमकती खिड़कियों,
दोनों के बीच कहीं खड़ी,
एक खोजती हुई रेखा हूँ।
मेरी पहचान,
मेरी सफलताओं में नहीं,
उन असंख्य कोशिशों में है,
जिन्हें इतिहास ने दर्ज नहीं किया।
वह हर सुबह,
जो निराशा को धूप की तरह,
धीरे-धीरे पिघलाती रही।
यदि तुम पूछो,
कि मेरा परिचय क्या है?
तो मैं कहूँगी,
मैं अपने रास्तों का जोड़ हूँ,
अधूरी इच्छाओं का भार,
पूरा हुए सपनों की रोशनी,
और उन कदमों की थकान,
जो सच की तलाश में चलते रहे।
मैं किसी एक रूप में बंध नहीं सकती,
मैं बदलती हवा हूँ,
गिरकर उठती हुई ढलान हूँ,
अँधेरे में जलती छोटी-सी लौ हूँ,
और सुबह की पहली किरण का भरोसा भी।
मेरा परिचय?
शायद यही,
कि मैं निरंतर बनने की प्रक्रिया हूँ।
मैं आज जो हूँ,
कल तक वैसी नहीं रहूँगी,
पर मेरी यात्रा की मिट्टी,
मेरे हर रूप को,
अपनी गोद में सुरक्षित रखेगी।
और इस अंतहीन यात्रा के बीच,
मैं जान चुकी हूँ,
परिचय कोई ठहरा हुआ शब्द नहीं,
यह तो जीवन का सतत प्रवाह है,
जो हर अनुभव से,
मुझे नया आकार देता जाता है।
संक्षिप्त परिचय
नाम - सपना
.jpg)

.jpg)




.jpg)




